सांख्यिकी स्वयंसेवक को लेकर सोशल मिडिया पर उड़ रहे अपवाह


सांख्यिकी स्वयंसेवक को लेकर सोशल मिडिया पर उड़ रहे अपवाह 

पटना:- सांख्यिकी स्वयंसेवक को सोशल मीडिया पर बताया  जा रहा अशोक कुमार चौधरी के कमीटी मे ASV को शामिल नही किया गया है जो सरेआम गलत है क्योंकि जब तक संविदा कर्मी के रिपोर्ट को सार्वजनिक नही किया जायेगा तब तक किस- किस विभाग को कमिटि मे लिया गया है वो पता नही चलेगा लेकिन हां कुछ व्यक्ति  ASV को  पक्का नौकरी की दावा करते है आपको बता दें ये भी निश्चित नही है क्योंकि सांख्यिकी स्वयंसेवकों की सेवा न ही संविदा के आधार पर था और न ही उनकी सेवा नियमित था 
जबतक की विभाग से साफ न हो जाए कि हम सब को नियुक्ति के लिए पुनः विभाग ने बुलाया है तबतक  सांख्यिकी स्वयंसेवक को नौकरी पक्की नही है। ✊✊✊✊✊✊




इसलिए सांख्यिकी स्वयंसेवक को धर्य से काम लेना चाहिए अौर  कमिटी रिपोर्ट अाने का इन्तजार करनी चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें बिहार राज्य में फसल कटनी, आर्थिक गणना, विभिन्न प्रकार के आंकड़ों के संगहण करने वाले 72890 सांख्यिकी स्वयंसेवकों की पैनल को रद्द कर दिया गया था

ये स्वयंसेवक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अंचल निरीक्षक, कृषि विभाग के प्रखंड कृषि पदाधिकारी और योजना एवं विकास विभाग द्वारा आवश्यकता के अनुसार विभिन्न प्रकार के आंकड़ों के संग्रहण और प्रयोगों के लिए उपयोग किये जाते थे. इन्हें राज्य सरकार दैनिक कार्य या सरकार द्वारा तय मानदेय का भुगतान किया जाता था. फसल कटनी और योजना एवं विकास विभाग के तहत अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय को भी विभिन्न प्रकार की गणना के लिए कर्मियों की आवश्यकता बढ़ गयी थी. इसके लिए 2012-13 में 11384 और 2013-14 में 61506 स्वयंसेवकों का पैनल बनाया गया था. 
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भारत सरकार द्वारा फसल बीमा योजना के लिए पंचायत स्तर पर फसल कटनी प्रयोग कराने के निर्देश दिया गया  था भारत सरकार के इस निर्णय के बाद राज्य में फसल कटनी प्रयोग पंचायत से प्रखंड स्तर तक निदेशालय के नियमित कर्मियों सांख्यिकी स्वयंसेवकों द्वारा कराया गया 
 ऐसे में मान्यता प्राप्त सांख्यिकी कर्मियों की सेवा का औचित्य नहीं रह गया है ऐसा कह कर इन्हे सेवा से समाप्त कर दिया गया इसी वक्त

उन्हेांने बताया कि सांख्यिकी स्वयंसेवकों की सेवा न ही संविदा के आधार पर था और न ही उनकी सेवा नियमित था. इसलिए इनके सेवा नियमित करने की दावा मान्य नहीं होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि सांख्यिकी स्वयंसेवकों से पैनल में नाम शामिल करने के लिए कोई शुल्क भी नहीं लिया गया था.  
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