IAS Ravindra Kumar Biography



दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत, सायद ही कोई हो जिसके मन में ख्याल ना आता हो इस पर्वत को फतह करें, लेकिन हर किसी के पास ये हौंसला ना होता । ऐसा इसलिए मैं कह रहा हूँ धन-दौलत तो हर किसी के पास होता है, लेकिन Mount Everest को फतह ना कर पाता। आज हम बात करेंगे बिहार की लाल और उत्तर प्रदेश कैडर के शान आईएएस
रवींद्र कुमार की, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट  की चोटी को फतह करने वाले देश के पहले आईएएस बनें, इतना नही माउंट एवरेस्ट को दूसरी बार 23 मई 2019 को फतह हासिल की है। आइए आज जानते हैं उनके रोमांचक सफर के बारे में। इससे पहले आपको मैं बता दूं आईएएस रवींद्र कुमार बिहार के बेगूसराय जिले के चेरियाबरियारपुर प्रखंड के बसही गांव निवासी शिवनंदन प्रसाद सिंह के पुत्र हैं। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2011 में आईएएस बनने के दो साल बाद वर्ष 2013 के मई माह में माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल की थी दुसरी बार 23 मई 2019 को फतह की। इनकी प्रारंभिक शिक्षा बसही गांवो में हुई। इसके बाद रांची के जवाहर विद्या मंदिर सहित कई विद्यालयों में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की य । प्लस टू की शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1999 में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास की। हालांकि, उन्होंने शिपिंग में कैरियर चुनते हुए मुंबई स्थित ट्रेनिंग शिप चाणक्य से जुड़ गये और वर्ष 2002 में नॉटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद पेंटागन मरीन सर्विस कंपनी में कार्य करते हुए प्रबंधकीय रैंक के अधिकारी के रूप में प्रोन्नत हुए। वर्ष 2009 में नौकरी छोड़ कर दिल्ली आ गये. बाद में वर्ष 2011 में उन्होंने आईएएस चुन लिये गये.। अब तक आईएएस रविन्द्र कुमार को  वर्ष 2013 में एलवी रेड्डी अवॉर्ड, 2014 में विशेष खेल सम्मान व सिक्किम खेल रत्न अवॉर्ड, वर्ष 2016 में काष्ती रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा इन्होंने माउंट एवरेस्ट के अनुभवों पर 'मेनी एवरेस्ट' नामक पुस्तक लिखी है।  पुस्तक में सपनों के हकीकत में बदलने की प्रेरणादायक यात्रा का जिक्र करने के साथ-साथ यात्रा की जानकारी और परेशानी का भी जिक्र किया है. पुस्तक का विमोचन वर्ष 2016 में नयी दिल्ली में आयोजित एक समारोह में किया गया था।


 इन्होंने सोशल मीडिया पर जिक्र करते हुए लिखा
Message from Mt. Everest :

Friends,
By the blessings of Almighty and Your warm wishes, I have climbed Mt. Everest today 23 May 2019 at 4.20 am for the second time.

First time, I had climbed in May 2013 inspired by role of mountaineers in search and rescue operation after Sikkim Earthquake.

This year's climb was mainly targeted to raise awareness regarding water pollution, water scarcity and potential water crisis in India. This is my earnest request to you from the highest peak of the world, Mt. Everest, to save water as much as possible during your day to day use and try to stop polluting water resources like river, lake, ground water aquifers etc by personal or community effort; so that we can pass on clean drinkinkable water to our future generations.

Being posted in Ministry of Drinking Water and Sanitation in Govt. of Inida, I thought to make this personal efforts other than my official duty to tackle potential water crisis in India. Although, journey to the peak was very tough, tiring & dangerous but it's worth taking such risk if it can contribute to tackle Water Crisis in India.

As a symbol of water sector of India, I also carried 'Ganga Jal' and offered at the peak of Mt. Everest because River Ganga provides water to about 50 crore people of India.

Please pray for my safe return.
Thank you.





गंगा जल भी साथ लेकर गए थे आईएएस-
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने के बाद आईएएस रविंद्र कुमार ने ‘माउंट एवरेस्ट’ पर तिरंगा लहराया। इसके साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार का झंडा भी एवरेस्ट पर फहराया। वह गंगा जल भी अपने साथ लेकर गए थे।

Comments

Popular posts from this blog

सांख्यिकी स्वयंसेवक को लेकर सोशल मिडिया पर उड़ रहे अपवाह

कलियुगी मानव